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जून, २०१५ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

चुपके चुपके

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है तुझ से मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा और तेरा दांतों में वो उंगली दबाना याद है चुपके चुपके रात दिन ... चोरी - चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह मुद्दतें गुजरीं पर अब तक वो ठिकाना याद है चुपके चुपके रात दिन ... खैंच लेना वो मेरा परदे का कोना दफ्फातन और दुपट्टे से तेरा वो मुंह छुपाना याद है चुपके चुपके रात दिन ... तुझ को जब तनहा कभी पाना तो अज राह - ऐ - लिहाज़ हाल - ऐ - दिल बातों ही बातों में जताना याद है चुपके चुपके रात दिन ... आ गया गर वस्ल की शब् भी कहीं ज़िक्र - ए - फिराक वो तेरा रो - रो के भी मुझको रुलाना याद है चुपके चुपके रात दिन ... दोपहर की धुप में मेरे बुलाने के लिए वो तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है चुपके चुपके रात दिन ... गैर की नज़रों से बचकर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ वो तेरा चोरी छिपे रातों को आना य