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जानेवारी, २०१८ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा , दिल मिला है कहाँ - कहाँ तन्हा बुझ गई आस , छुप गया तारा , थरथराता रहा धुआँ तन्हा ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं , जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी , दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा जलती - बुझती - सी रोशनी के परे , सिमटा - सिमटा - सा एक मकाँ तन्हा राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।

पायाखाली वाळू

पायाखाली वाळू  जाता तुडवित  ढासळले चित्त  कणकण  ओहोटीच्या पार  लावता मी ध्यान  अचानक ऊन  मावळले  अशी भडकावी  काळजात आग  तैसा रंग राग  चोहीकडे  अपुऱ्या डोळ्यात  न मावे सोहळा  पाहिजे फाटला  उर आतां.  : पायाखाली वाळू  : शिरीष पै