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पोस्ट्स

ऑक्टोबर, २०१५ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

to do list

1.         Take into account that great love and great achievements involve great risk. 2.         When you lose, don’t lose the lesson. 3.         Follow the three R’s: – Respect for self, – Respect for others and – Responsibility for all your actions. 4.         Remember that not getting what you want is sometimes a wonderful stroke of luck. 5.         Learn the rules so you know how to break them properly. 6.         Don’t let a little dispute injure a great relationship. 7.         When you realize you’ve made a mistake, take immediate steps to correct it. 8.         Spend some time alone every day. 9.       ...

ग़ैर को आने न दूँ, तुमको कहीं जाने न दूँ

ग़ैर को आने न दूँ, तुमको कहीं जाने न दूँ काश मिल जाए तुम्हारे घर की दरबानी मुझे

कई जवाबों से अच्छी है ख़ामुशी मेरी

कई जवाबों से अच्छी है ख़ामुशी मेरी न जाने कितने सवालों की आबरू रक्खे

दिल टूटने से थोड़ी सी तकलीफ़ तो हुई

दिल टूटने से थोड़ी सी तकलीफ़ तो हुई लेकिन तमाम उम्र को आराम हो गया

किसी हमदम का सर-ए-शाम ख़याल आ जाना

किसी हमदम का सर-ए-शाम ख़याल आ जाना नींद जलती हुई आँखों की उड़ा देता है

मेरे हबीब मेरी मुस्कुराहटों पे न जा

मेरे हबीब मेरी मुस्कुराहटों पे न जा ख़ुदा-गवाह मुझे आज भी तेरा ग़म है

मैं बदलते हुए हालात में ढल जाता हूँ

मैं बदलते हुए हालात में ढल जाता हूँ देखने वाले अदाकार समझते हैं मुझे

मंज़िल का पता है न किसी राहगुज़र का

मंज़िल का पता है न किसी राहगुज़र का बस एक थकन है कि जो हासिल है सफ़र का

दिल-गिरफ़्ता ही सही बज़्म सजा ली जाए

दिल-गिरफ़्ता ही सही बज़्म सजा ली जाए याद-ए-जानाँ से कोई शाम न ख़ाली जाए

अगर वो पूछ लें हमसे, तुम्हें किस बात का ग़म है

अगर वो पूछ लें हमसे, तुम्हें किस बात का ग़म है तो फिर किस बात का ग़म है,अगर वो पूछ लें हमसे

कोसा कोसा लगता है, तेरा भरोसा लगता है

कोसा कोसा लगता है, तेरा भरोसा लगता है रात ने अपनी थाली में चाँद परोसा लगता है: gulzar saab

उसने हमारे ज़ख़्म का कुछ यूँ किया इलाज

उसने हमारे ज़ख़्म का कुछ यूँ किया इलाज मरहम भी गर लगाया, तो काँटों की नोक से

यूँ तसल्ली दे रहे हैं हम दिल-ए-बीमार को

यूँ तसल्ली दे रहे हैं हम दिल-ए-बीमार को जिस तरह थामे कोई गिरती हुई दीवार को

ताल्लुक़ात की क़ीमत चुकाता रहताहूँ

ताल्लुक़ात की क़ीमत चुकाता रहताहूँ मैं उसके झूठ पे भी मुस्कुराता रहताहूँ

इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं

इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं होंटों पे लतीफ़े हैं, आवाज़ में छाले हैं