तुझे पहचानूंगा कैसे? तुझे देखा ही नहीं
ढूँढा करता हूं तुम्हें अपने चेहरे में ही कहीं
लोग कहते हैं मेरी आँखें, मेरी माँ सी हैं
यूं तो लबरेज़ हैं पानी से, मगर प्यासी हैं
जाने किस जल्दी में थी
जन्म दिया, दौड़ गयी
क्या खुदा देख लिया था
कि मुझे छोड़ गयी
तुझे पहचानूंगा कैसे? तुझे देखा ही नहीं
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