सब की पूजा एक सी,अलग अलग हर रीत
मस्जिद जाये मौलवी,कोयल गाये गीत
बच्चा बोला देख कर मस्जिद आलीशान
अल्लाह तेरे एक को इतना बडा मकान
सीधा सादा डाकिया,जादू करे महान
एक ही थैले में भरे आंसू औ मुस्कान
घर को खोजे रात दिन,घर से निकले पांव
वो रस्ता ही खो गया जिस रस्ते था गांव
मुझ जैसा एक आदमी,मेरा ही हमनाम
उल्टा सीधा वो चले, मुझे करे बदनाम
पूजा घर में मूरती,मीरा के घर श्याम
जितनी जिस की चाकरी,उतने उसके दाम
अच्छी संगत बैठ कर संगी बदले रूप
जैसे मिल कर आम से,मीठी हो गई धूप
छोटा करके देखिए जीवन का विस्तार
आंखों भर आकाश है,बांहों भर संसार
- निदा फाजली
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